दीप जले हर घर आंगन में

कार्तिक मास अमावस घनेरी
प्रकाश पुंज बिखरा तिमिर मिटाने आई है
दीप जलें हर घर आंगन में
शुभ दीपावली आई है।

श्री गणेश लक्ष्मी कुबेर अनुकंपा बरसाते
धन्य धन्य पूर्ण कार्य सब करते
अंधकार से प्रकाश की ओर करें अग्रसर
आशीर्वाद स्नेह से अभिसिंचित करते।

पूर्ण कर वनवास ,लंकापति रावण वध
अयोध्या नगरी लौटे रघुराई
दीपोत्सव पावन पर्व की पड़ी रीति
असत्य पर सत्य की विजय पताका लहराई।

उमंग प्रेम मन उल्लासित करता
दीपक दैदीप्तिमान हो जग को प्रकाशित करता
फुलझड़ियां रंगोली मिष्ठान की महक
पर्व स्वच्छता खुशहाली का संदेशा देता।

मिटे कलुष तम मन में जो छिपा
स्वच्छ शीतल निर्मल बनाने आई है
दीप जलें हर घर आंगन में
शुभ दीपावली आई है।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता “नव्या”

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