पवित्र सी सुगंध
कहीं बहुत दूर से
हवा उड़ा कर ला रही है
प्यारी सी सुगन्ध किसी फूल की।
निराली सुगन्ध
नासिका के भीतरी
इन्द्रिय स्थान पर,
अपनी उपस्थिति का
नया अहसास करा रही है।
पवित्र सी सुगंध
वासनारहित अपनेपन का,
प्रकाश जगा रही है।
निस्वार्थ स्नेह से जीने का
पाठ पढ़ा रही है
वाह बहुत खूब
वाह अतिसुन्दर कविता
फूलों की सुगंध से किसी की उपस्थिति के अहसास का ज़िक्र किया गया है,कवि सतीश जी ने अभिधा के साथ साथ लक्ष्यार्थ प्रस्तुत किया है ।अभिधा और लक्षणा दोनों से भरपूर बहुत सुंदर रचना । सुन्दर प्रस्तुति .
Nice
बहुत खूब