पृथ्वी दिवस(पृथ्वी की पुकार)
आज यह धरती माता,कर रही हम सब से यह पुकार है।
मुझसे जन्मा अस्तित्व तेरा,और मुझसे ही यह संसार है।।
मत करो क्षरण प्राकृतिक संसाधनों का,
रोपो सब मिलकर वृक्ष कई रोशन होगा सबका कुनबा,
चहुंओर बिछेगी हरियाली,
नदियां देंगी स्वर् कल कल का,
चरणों में अमिता करती वंदन हर क्षण मां तेरा आभार है।
तुझसे जन्मा अस्तित्व मेरा और तुझसे ही यह संसार है।।
अति उत्तम,🙏🏻🙏🏻
Fabulous poem..it should be go on top..
👌🙏🌹🌹
बहुत सुन्दररचना
Sundr rchna👌
Beautiful❤️🙏🙏
What a beautiful poem
Bahut. Sunder. Rachna🙏🙏
मानव का आस्तित्व ही धरती से है । बहुत ही सुंदर रचना है । 🙏
Amazing and beautifully presented with a great thought👌🏻
💫👍👍
👌👌
धरती मां के चरणों में अमिता की अप्रतिम रचना।
बधाई हो और सदैव ऐसे ही लिखती रहो।
Beautiful poem ☺️
Awesome 👍👍
👍🏻👍🏻
आज यह धरती माता कर रही सबसे पुकार है,
मुझ से जन्मा अस्तित्व तेरा मुझसे ही यह संसार है,
धरती माता का आभार प्रकट करते हुए बहुत सुंदर रचना
उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु आप सभी का सादर धन्यवाद ।।
वाह बहुत खूब
Great