बचपन की यादों से नोक झोंक
चाशनी सी मीठी है ये बचपन की यादें
ये अक्सर लिपट जाती है सीने से आके
और खिलखिला के पूछती है की ऐसा क्या पाया ?
मुझको खोकर भी ख़ुद को ना पाया, तो क्या कमाया?
बहुत जल्दी थी ना तुमको बड़े होने की ?
पैसा कमाने की,ख़ुद के पैरों पर खड़े होने की?
तो फिर क्यूँ आज भी सिर्फ़ मुझको ही याद करते हो ?
काश मैं लौट आऊँ बस यही फ़रियाद करते हो
अफ़सोस, बीता वक़्त कभी लौट के नहीं आता
अब इस सच्चाई के कड़वे घूँट पीना सीखों
आने वाले कल को छोड़ो, आज में जीना सीखों !
वरना ये पल भी हाथ से फिसल जाएगा
थोड़ा और की चाहत में, जो है वो भी निकल जाएगा
अब इस सच्चाई के कड़वे घूँट पीना सीखों
आने वाले कल को छोड़ो, आज में जीना सीखों !
✍️Rinku Chawla
वाह जी वाह
Thanks Satish bhai
nice
Thanks Yuvraj bhai
Atisunder
Thanks Shastri ji
यथार्थ चित्रण
Thanks Geeta ji
आपने मुझको भी मेरा बचपन याद दिला दिया ,सच में अब नहीं आएंगे वो दिन वापिस।
अब तो आज में ही खुश रहना पड़ेगा।
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति 👏👏
Thanks for the lovely comment Mohan bhai
I really like your writing too
बहुत बहुत आभार 🙏