बरखा रानी
देखो ये बादल बिना फ़िकर
उड़ते फिरते इधर-उधर।
कभी-कभी करते शैतानी,
छम-छम खूब बरसाते पानी।
सूख रही थी मेरी बगिया,
जल बरसाने आए मेघा।
बरखा रानी को संग लाए।
बरस गई जब बरखा रानी,
चलने लगी पवन सुहानी,
मौसम हो गया है रूमानी।।
_____✍️गीता
कम शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति कवि गीता जी की कविता की विशेषता है। बहुत सुंदर रचना। वाह
बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी, इस सुंदर और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार
देखो ये बादल बिना फ़िकर
उड़ते फिरते इधर-उधर।
कभी-कभी करते शैतानी,
छम-छम खूब बरसाते पानी।
सूख रही थी मेरी बगिया,
जल बरसाने आए मेघा।
बहुत ही सुंदर कविता
सुंदर समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
बहुत सुंदर कविता, वाह
बहुत-बहुत धन्यवाद कमला जी
अति सुन्दर रचना
हार्दिक आभार चंद्रा मैम
अति सुन्दर
बहुत-बहुत धन्यवाद
अति सुन्दर