माताएँ
माता कुमाता नहीं हो सकती
परंतु पुत्र नहीं सुपुत्र रहा
मां, धरती मां, भारत मां, प्रकृति मां
, नदी मां, गौ मां
आज सभी पीड़ित, उपेक्षित, असहाय महसूस कर रही है
स्वार्थ ने मां बेटे के बीच की दूरी बढ़ाया है
अपनी सुंदरता के लिए माताओं को
कुरूप बनाया है
अपनी खुशी के लिए
माताओं को रुलाया है
विचार करो इन्ही कर्मों की वजह से तो नहीं धरा पर कोरोना आया है
बहुत सुंदर
Great analysis
विचार करने योग्य बात तो है