रेत से बने इस रक्त के पुतले पर

रेत से बने इस रक्त के पुतले पर,
रस्म ऐ रूह का रूतबा क्या कहूँ,

बदलते रोज़ चेहरों के मुखौटे पर,
जश्न ऐ जाम का कब्जा क्या कहूँ॥

राही (अंजाना)

Related Articles

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

आतंकी की महिमा मंडित मंदिर और शिवाले खंडित पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी बोटी चाट रहे हैं पंडित भ्रष्टों को मिलती है गोदी…

O raina tujhe mai kya kahu

ओ रैना, तुझे मैं क्या कहूं? रात कहूं, रैना कहूं या निशा कहूं, मिलता है दिल को सुकून, साये में तेरे, मिट जाती है सारी…

Responses

New Report

Close