रौनक सज रही है आजकल
खूबसूरत काव्य सरिता
बह रही है आजकल,
इस भरी महफ़िल में
रौनक सज रही है आजकल।
प्रेम है, उत्साह है
एक दूसरे की चाह है,
है मिलन मधुरिम बहारें
औ विरह की आह है।
प्रकृति का लद-कद है चित्रण
साथ में है आम जीवन,
देख लो महफ़िल हमारी
खिल रही है आजकल।
बहुत ही सुंदर, बहुत ही लाजवाब
बहुत खूब, अतिसुन्दर
कवि सतीश जी ने अपनी इस रचना में सावन मंच पर कविताओं की सरिता बहने की बात कही है । यहां पूरे भारत के कवि सम्मिलित होते है और काव्य के क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं
बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण
वाह✍👌
कोई श्रृंगार वियोग लिखता है यहां
कोई हास्य वीर रस लिखता है,
कोई भ्रष्टाचार तो कोई पाखंडवाद से लिखता है,,
पर एस.पी.सर आप महान-
सबकी कविता की लिखनी,
आप अपनी एक कविता में लिख देते हैं🙂
बहुत सुंदर रचना सर आपकी
अतिसुंदर भाव
सर नमस्कार, आपके द्वारा लिखी गई यह टिप्पणी आभास दिला रही है कि आप साहित्य के जानकार एक मंझे हुए विद्वत व्यक्ति हैं। आप इतनी संतुलित टिप्पणी लिख रहे हैं, परिचय तो नहीं हो पाया है अभी लेकिन जो भी हैं विद्वान हैं, यह अनुभूति जरूर हो गई है।