शीतल पवन का झोंका
आहिस्ता-आहिस्ता मौसम बदल रहा है।
एक शीतल पवन का झोंका मुझसे बोल रहा है..
‘मुझे तेरा ताप है कम करना’,
फिर ना ऑंखें नम करना।
हिय में छुपाकर ग़म अपने,
तुम धीरे-धीरे कम करना ।
बादल बना कर लाऊँगा,
नेह नीर बरसाऊँगा ।
हृदय की तपिश कम करके,
तेरे अधरों पर फ़िर से
मुस्कान सजाऊँगा॥
_____✍गीता
बहुत खूब, अति सुंदर भाव, बेहतरीन शिल्प।
इस सुंदर समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी
Bahut khoob
Thank you
बहुत सुन्दर रचना