सच के आगे झूठ लिखूँ ये मेरा काम नहीं

सच के आगे झूठ लिखूँ
ये मेरा काम नहीं
इश्क है मेरा दौलत शोहरत,
भले इश्क बदनाम सही
घायल लोग यहाँ रहते हैं
दिल सीने में किसके है?
बैचेन पड़ी है रात यहाँ
तारे भी दूर रहते हैं
पूछो रंग भरे जमाने से
कितनी दुवायें करते हैं
इक लम्हा चाहत के लिए
चैन की नींद न सोते हैं
उसकी चौखट दीये सन्नाटे
कब मुश्किल दे जाए
जब ख़बर हो हवा को
यूँ ही आँसू बहाए
-मनोज कुमार यकता
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