हाथों से बनाया जिनको
हाथों से बनाया जिनको मैंने आज वही मुझको बनाने लगे,
बनाकर मूरत मेरी दुकानों में मुझको वो सजाने लगे,
कितनी बदल गई उस इंसा की नियत जो
मोल लगाकर मेरा खुद को अमीर बनाने लगे,
खेल है मेरा और सब खिलौने हैं मेरे हाथ के,
जो आज मुझको ही खेल सिखाने लगे॥
राही (अंजाना)
bahut khoob sir
Thanks
Sundar