रेत हाथों से यूँ ही न सरक पाएगा

रेत हाथों से यूँ ही न सरक पाएगा,
गर उँगलियों में दूरी रखोगे नहीं,
रंग चेहरे का फीका न हो पायेगा,
गर रिश्तों में किस्से रखोगे नहीं,
अब कुछ नहीं इन आँखों से हो पायेगा,
गर ज़ुबा से तुम कुछ भी कहोगे नहीं।।
राही (अंजाना)
बहुत खूब
धन्यवाद