किसान
दो रोटी देने को तुमको,
रह जाता है भूखा वो;
दूध-दही देने को तुमको,
खा लेता है सुखा वो,
कभी बारिश कभी जाड़े में;
फसल हो जाती हैं चौपट,
माँगता है बस मेहनताना;
नहीं माँगता वो फोकट।
बेईमानी चोरी आदि से,
रहता कोसो दुर है;
चलता सन्मार्ग पर वह है,
करता मेहनत भरपूर है;
फिर भी दशा वही है उसकी,
स्तर नहीं सुधरता है
करता हैं क्यों आत्महत्या?
दुख से क्यों गुजरता है?
अत्यंत सुंदर कविता
सुन्दर रचना
वाह
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
वाह जी वाह
धन्यवाद
अन्नदाता की व्यथा का सटीक चित्रण .. सुंदर रचना
धन्यवाद चाचा जी
Gr8