किसान

दो रोटी देने को तुमको,
रह जाता है भूखा वो;
दूध-दही देने को तुमको,
खा लेता है सुखा वो,
कभी बारिश कभी जाड़े में;
फसल हो जाती हैं चौपट,
माँगता है बस मेहनताना;
नहीं माँगता वो फोकट।
बेईमानी चोरी आदि से,
रहता कोसो दुर है;
चलता सन्मार्ग पर वह है,
करता मेहनत भरपूर है;
फिर भी दशा वही है उसकी,
स्तर नहीं सुधरता है
करता हैं क्यों आत्महत्या?
दुख से क्यों गुजरता है?

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

लेख:- आत्महत्या

शीर्षक:- “जीने का लें संकल्प, आत्महत्या नहीं है विकल्प” आत्महत्या यानी खुद ही खुद की हत्या कर लेना।अपने आप ही अपने प्राण ले लेना अर्थात्…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close