चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर
लेके काँधे पे बन्दूक
दिल में देशप्रेम अटूट
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।
न हीं जीवन की मोह
न हीं परिजन बिछोह
देश के खातिर दिया सब कुछ है छोड़।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
ये हमारे वीर सिपाही
लड़ने में न करे कोताही
जलती धरती अंबर बरसे घनघोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
नहीं किसी से वैर है
न अपना कोई गैर है
भारत माँ की रक्षा में है न कोई थोड़।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
विस्तारवाद नहीं इनकी चाह
विकासवाद के चलते राह
५६ इंच की सीना देख यार पुड़जोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
कारगिल में था वैरी रोया
रोया था गलवान में।
दुश्मनों के छक्के छुराए
डरे नहीं बलिदान में।।
‘विनयचंद ‘ इन वीरों के दिल से लागे गोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
Sunder Rachana
Jai jaban
जय भारत
Jai hind
Jai Bharat
Bahut badhiya
Shukria
nice
Thanks
good
Thanks
nice poem
Thanks
Bahut hi sundar rachna
Jai hind
Jai hind
Jai javan
Nice Lines Pandit ji 🙏
Shukria
सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
Nice poetry
Jay Javan
Jay hidustan
Thanks
Good poem pandit hi jay hind
Thanks
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
nice
Thanks
बेहतरीन
शुक्रिया
Awesome
Thanks
Nice poem Panditji
Thank you very much for your precious comment
Jai hind
Jai hind
Jai jaban
Jai hindustan
Good
धन्यवाद
Bht sunder👌👌
धन्यवाद
🇮🇳🇮🇳👌👌
बेहतरीन
वीर रस से ओतप्रोत रचना आपकी देशभक्ति को दिखा रही है
धन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुति