इबादत

तस्लीम नहीं उनकी हिमाकत
हरहाल में करेंगे अपनी हिफाज़त
मुमानियत लगाए अपनी आकांक्षाओं पर
नहीं तो भूल बैठेगे हम भी अपनी सराफत
मकबूल नहीं तेरी अनैतिक मनाहट
मान दोगे तो करेंगे हम तेरी इबादत

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