ओ मां अंजना के लाल
आज है जन्मदिवस तेरा ओ मां अंजना के लाल ,
कलयुग के देवता कहां हो तुम ?
आ जाओ करने फिर से हम सबकी देखभाल ,
आप की बनाई दुनिया में महामारी के बादल छाए ,
दिन पर दिन उठ रहे बच्चों पर से मां-बाप के साए ,
स्थितियां दिन पर दिन हुई गंभीर ,
लोगों की दशा देख मन हो जाता अधीर ,
इस दुनिया के लोगों की सांसे ,बजरंगी फिर से दो संभाल ,
कलयुग के देवता कहां हो तुम , आ जाओ करने देखभाल
त्रेतायुग में आपने ही , लक्ष्मण भैया के प्राण बचाए थे ,
लाए थे तुम संजीवन बूटी , झोपड़ी सहित सुषेण वैद्य भी लाए थे ,
ऐसी ही कोई संजीवन बूटी फिर से ला दो,
और लोगों की जिंदगी करो खुशहाल ,
रखने आ जाओ बजरंगी हम बच्चों का फिर से खयाल ,
मुबारक हो जन्मदिवस ओ मां अंजना के लाल ।
हनुमान जयंती के पावन अवसर पर रचित आपकी यह कविता बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
अतिसुंदर
Jay hanumaan