गाकर कविता कर दो सवेरा
क्यों न कही कोई कविता
बताओ, क्यों चुप हो ओ! कवि तुम।
चारों तरफ है घोर अंधेरा,
गाकर कविता कर दो सवेरा।
फैल उजाला भीतर पहुँचे
नहीं है निराशा यह मन कह दे।
सोए हुए को आज जगा दे,
आलस-निद्रा दूर भगा दे,
गाकर कविता कर दो सवेरा,
आज मिटा दो गहन अंधेरा।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ