अब के झमाझम

अब के
झमाझम सावन ने
ताना अंतरपट
झीना, झिलमिल – झिलमिल
अंबर से धरती तक

ढोल – नगाड़े बजते अविरत
बिजली का मंडोला सजता नभ में
बूंदों का सेहरा बांधे
उतरा बादल
धानी धरती का हाथ थामने

१५.०८.२०२२

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

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