पहली नजर का मेरा इश्क है
पहली नजर का मेरा इश्क है बिन हिसाब का मेरा इश्क है ख़ुद में ही पावन यह इश्क है अकारण बिन-व्जह का इश्क है कह…
पहली नजर का मेरा इश्क है बिन हिसाब का मेरा इश्क है ख़ुद में ही पावन यह इश्क है अकारण बिन-व्जह का इश्क है कह…
एहसास तेरी पह्ली छुअन का मुझमें जिंदा बच गया मर कीं भी मुझमें …… यूई
अपने साजन संग मैं फहर गई इक आग सी मुझमें सहर गई अंग गोरे मोरे इक लहर गई बन तरंग सी मुझमें तैर गई ………
मोहे अब कोई रंग ना फबता सिवा तेरे अब कोई ना जचता …… यूई
रंग जोगिया तेरा मोहे भा गया सजना इश्क तेरा मोरे दिलपे छा गया सजना मै तोरे प्यार में बस खो गई सजना रूह मेरी तोरी…
रंग तेरे में रंग गई सजना इश्क तेरे में रंग गई सजना दिल अपने में बसा ले सजना अब तो अंग लगा ले सजना ………
सबको एक नजर में अपना बना लेते हो कैसे तुम सबसे ही वफ़ा निभा लेते हो …… यूई
कैसा यह नजरोँ का खेल रचाया है रकीबों को भी इस खेल में नचाया है …… यूई
नजरो नजरोँ में ही कैसे नजर घुमा जाते हो अपनो को एक नजर में कैसे ज़ुदा कर जाते हो …… यूई
नजरो नजरोँ में ही मेरी नजर चुरा लेते हो नजरोँ में ही मेरी नजर अपनी बना लेते हो …… यूई
इस कदर प्यार से ना देखो मुझको नज़र कही ना लग जाए ख़ुद की मुझको …… यूई
अंग अंग अपना रंगाया तेरे इश्क में अपनी रूह को नहलाया तेरे इश्क में सब रंग अपने अपने चाहे दिखाते हैं दुनिया के रंग ना…
घूमाई ऐसी नजर यार ने प्यार में बेवफाई कीं तसवीर दिखाई प्यार में जो थे बरसों रकीब हमारे प्यार में हमेे ही हो गए रकीब…
जिन नजरों में सुनते थे अपने दिल के फ्साने उनही नजरोँ में हैं हम अब रकीबों से दीवाने …… यूई
हमारा एक ऐसा वक्त गुज़रा है अपना था पर वोह अब गुज़रा है तेरी नजरों में ही बसा करते थे हाल-ए-दिल अपना पड़ा करते थे…
सब कहते हैं तू दिल का हाल लिखता है तेरे शब्दों का यह जाल खूब बिकता है जो चाह कर भी कभी तू लिख ना…
ज़िकर तेरे ने फिर छेड़ दिए वौह दिल के तार जो कब्के भुला दिए थे हमने पिछली बहांर …… यूई
महफिल में लेते ही नाम तेरा जी उठे फिर वह तमाम चेहरे जो जाने की तैयारी में थे परसो वही जम गए वौह फिर बरसो…
बात निकली तेरी तो रात गई जाने कब वौह बरसात गई …… यूई
ज़िकर जिस महफिल में ना हो तेरा उस महफिल में नही रमता दिल मेरा …… यूई
ज़िकर जब भी तेरा कही उठता है जाने दिल मेरा क्यों खिल उठता है …… यूई
आँखों से जो यह अश्क निकले हैं यही तो मेरी रूह के चिथड़े हैं …… यूई
दर्द तेरे दिल को जो जकड़े हैं मेरी रूह को वोही तो पकड़े हैं …… यूई
दुआ में कभी हाथ उठा ना पाए तुम दवा मेरे गम की क्या तुम कर पाओगे …… यूई
मेरे दर्द-ए-गम की दवा तेरे पास नही तेरे मर्ज-ए-इश्क की दवा मेरे पास नही …… यूई
मेरे अश्कों के दर्द क्या तुम सुल्झओगे इनकी आग में ख़ुद ही भस्म हो जाओगे …… यूई
दर्द ख़ुद के ही अश्कों का समझ ना पाया ज़िन्दगी का यह खेल मुझ को ना भाया …… यूई
अश्कों में छुपी एक जान होती है इनकी ज़िन्दगी शानदार होती है रंग दिखने को बस बेरंग रखा है हर रंग इन्होंने ख़ुद में समा…
सोचा था पी के भूला देंगे तेरे गम ना जाने फिर क्यों आँखें रह गई नम ….. यूई
पैमाना कितना भी सम्भालो छलक जाता है दर्द-ए-दिल जितना भी छुपा लो झलक जाता है …… यूई
सालों पहले जो तोड़ दिया था दिल जो आपने भरी दोपहर में आज तलक ना संभाल पाए उसे हम ज़िन्दगी की सहर में …… यूई
ज़िकर जब भी उठता है तेरा शहर में दिल डूब सा जाता है किसी लहर में …… यूई
ज़िन्दगी की राहें अब आसान हुई मौत के इंतज़ार में ही शाम हुई …… यूई
आने का वादा तेरा मुझसे टूट गया तेरा इंतज़ार अब मुझसे ही रूठ गया अच्छा हुआ यह खेल अपना छूट गया तेरे सर के सारे…
अन्धेरे मुझे अब रास आ गए है तन्हाईया मुझे अब अपना गई है डर जितने भी थे अपनी बर्बादी के संग उनके अब मुझको भा…
छोड़ा है जिनको तुमने अकेले मिलेंगे फिर तुझको वोह इस मेले …… यूई
गिर जाऊँ जो मैं तेरी नजर से कर देना दफन मुझे सत्व में हूँ मैं जब तक तेरे हुक्म में जिंदा हू तब तक स्थल…
उठना गिरना यूँ है उसके हाथ कब्र ख़ुद की खोद के गिरना यह कहाँ की लियाकत है …… यूई
उठ कर गिरना इंसानो की फितरत है गिर कर उठना दीवानों की हसरत है …… यूई
तेरी सारी सोच मन्सूबे तदबीरें इनमें कुछ भी कम ना आएगा वक्त जब अपना फ़ैसला सुनाएगा तब तेरा कुछ भी बच ना पाएगा …… यूई
गिर गया है गर समाज तो इसे खोना ही चाहिए वक्त की गहरी क़ब्रों में अब इसे सोना ही चाहिए …… यूई
अच्छा बुरा सब एक वक्त के है दो पहलू जिन शमशीरों ने सामाजो को बचाया है उन्ही ने लाखों का खून भी बहाया है ………
कौन अच्छा है कौन बुरा कौन किसका यहां फ़ैसला करे पल पल बदलते रंगों में कौन सफेद स्याह का रंग चुने …… यूई
यही प्रथा है इस ग्रह की जीवन यहां पे सबको है ज़िन्दगी की कवायत यहां की जिंदा है रिवायत वहां की …… यूई
उस बाज़ी में कभी ना थी तूने मानी इस बाज़ी में अब किसी ने ना तेरी मानी …… यूई
जब था वक्त तब किसी की ना मानी जब ना अब वक्त तब ना किसी की मानी …… यूई
गम सारे जमाने के मिटाने की क्या तुमने अकेले कसम खाई है ……यूई
बस करो रुक जाओ ख़ुद के लिए प्यास अपनी को बड़ा लो मेरे लिए ……यूई
तेरे दिल के रंग सुनसान से पाए तेरी आँखों में ख्वाब वीरान से पाए तेरे मन की उमंगें निर्जन सी पाई तेरी राहे ख़ुद से…
समुंदर में रह कर भी तूं प्यासा क्यों है अरमानो भरा प्यार पाकर उदासा क्यों है उदासी अपनी की वज़ह तो बता इक बार तमाम…
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