यूँ तो नज़रन्दाज़ नहीं करते लोग खामियाँ मेरी

यूँ तो नज़रन्दाज़ नहीं करते लोग खामियाँ मेरी, तो मैं भी क्यूँ दिखाऊं खुलकर उनको खूबियां मेरी, अभी सीख रहा हूँ तैरना तो हंसी बनाने…

मुक्तक

कदम दर कदम मै बढाने चला हूँ। सफर जिन्दगी का सजाने चला हूँ। ज़माने की खुशियाँ जहाँ पें रखकर दौर जिन्दगी बनाने चला हूँ।। योगेन्द्र…

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