चल आज तू……
चल आज तू मुझे अपना रहनुमा बना दे, इसी बहाने मेरी ज़िन्दगी भी खुशनुमा बना दे…….!! -Dev Kumar
चल आज तू मुझे अपना रहनुमा बना दे, इसी बहाने मेरी ज़िन्दगी भी खुशनुमा बना दे…….!! -Dev Kumar
चल आज तू मुझे अपना रहनुमा बना दे, इसी बहाने मेरी ज़िन्दगी भी खुशनुमा बना दे…….!! -Dev Kumar
चली कलम फिर आज कागज पर एक नगमा सा वो बन गया तन्हाई ने फिर करवट बदली एक गमो का जलसा सा वो बन गया…
खुली आँखों का खुवाब अच्छा नहीं होता बेबसी का रुआब अच्छा नहीं होता जो अपने बन कर भी न बन सके अपने उन पर मोहोब्बत…
Es dil ki Ek zid hai Bas wo puri Ho jaaye….! Ham aur hamari mohobbat Dono uske liye jaruri Ho jaaye….!! -Dev Kumar
Logo se apna chehra chupa ke rona Ke aansuon ko ankhon main chupa ke rona…….! Log padh lete hai har lakiron ko Jab bhi Rona…
कुछ तो बात जरूर रही होगी तुम दोनो के दार्मियां मोहोब्बत का रिश्ता क्यू समझोते पर आ गया मिला हैं तुमको भी वंही उससे बदले…
लोग करने लगे है दिल्लगी और रिस्तों को ताड ताड….! कुछ इसलिये भी मोहोब्बत अब बदनाम हो गई है….!! – देव कुमार
एक नज़र उसे देखने के बाद उस रोज़ से, मेरी आँखों को और कोई चेहरा नहीं दिखता।। राही (अंजाना)
रूठी हुई मोहब्बत को मनाते मनाते, हम उन्हीं के चेहरे के दीवाने हो गए।। राही
Harshit Shukla रूठी हुई मोहब्बत को मनाते मनाते, हम उन्हीं के चेहरे के दीवाने हो गए।। राही
लोग जबसे खामोशी को मेरी कमजोरी समझने लगे, राही उसी दिन से बहुत ज्यादा बोलने लगा ।। राही (अंजाना)
जब दुनियाँ की भीड़ में मुझे कोई सुनने वाला न था, उसने मेरे दिल पर हाथ रखा और सब समझ गई।। राही (अंजाना)
शोर तो बहुत था मेरे चारों तरफ सफर में, मगर मुझे सिर्फ उसकी खामोशी सुनाई दी।। राही (अंजाना)
हम दिए जलाते हैं रौशनी ही करेंगे, अब कागज़ हो या यादें दिल में राख ही बनेंगे।। राही (अंजाना)
नुमाइश मेरी बरबादी का लगाकर, वो मुस्कराहट सरे बाजार बेचता है।। राही (अंजाना)
जब किसी ने न देखा पलटकर मुझको, तब आइना भी मुझे देखकर मेरे साथ रोया, जब सूख गया मेरे दिल का हर एक कोना, तब…
बस चन्द पन्ने पलते और किताब छूट गई, मोहब्बत के विषय पर हमारी पकड़ बहुत थी।। राही (अंजाना)
बहुत कुछ कहते हैं मगर सामने नहीं आते, कुछ लोग अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आते।। राही (अंजाना)
जो प्रश्न उसने कभी पूछा ही नहीं, उसके जवाब में रात दिन उलझा हूँ।। राही (अंजाना)
जहाँ भी रहे नज़र आती है, वो हवाओं सी मुझे सुहाती है, हाथ आये न आये वो मेरे, वो तितली अपनी ओर बुलाती है।। राही…
बन्द आँखों में भी नज़र आने लगा है, एक चेहरा मुझे इस तरह सताने लगा है।। राही (अंजाना)
गम और तन्हाई का साथ नहीं मजबूरी हैं साहिब ये और कुछ नहीं इश्क में मिली मजदूरी हैं साहिब….!! -देव कुमार
हमारी तारीफ क्या पुछते हो, बस इतना सुन लो साहिब…! ज़िसका कोई जवाब नही, ऐसा एक सवाल हैं हम…!! -देव कुमार
ठिकाना भी मिल जाएगा, और दर्द-एे-गम की दवा भी….! माना दुनिया मतलबी हैं मगर, कुछ लोग दिलजले भी हैं साहिब….! -@ देव कुमार
कुछ पहेलियां ज़िन्दगी की मैं सुलझा ना सका, उसमें से एक तेरी ज़ालिम मोहोब्बत हैं….!! -देव कुमार
स्वप्न तेरे साथ ज़िन्दगी का देखकर, सदियाँ बीत गई ‘राही’ की सोते सोते।। राही (अंजाना)
ये दो मज़हब की लड़ाई नहीं है दोस्त, यहाँ प्यार की शमशीर पर दो जानें लगी हैं।। राही (अंजाना)
बहुत ही हल्की हो गई हैं पलकें मेरी, अरसों बाद कोई उतरा है मेरी पलकों से आज।। राही (अंजाना)
चलो रहने भी दो अब बहानेबाजी कैसी, तुम आ तो गये हो, मगर अब वो पहले वाली बात नहीं….!! -देव कुमार
बड़े ही नाराज दिखते हो आज आप मोहोब्बत से….! कही इसने आज आपको भी तो नहीं लूटा….!! -देव कुमार
कोई और बात हो तो हमको बतलाओ साहिब, के दगा देना और दिल तोडना आपकी पुरानी आदत हैं….!! -देव कुमार
ये तो अपनी अपनी किस्मत हैं साहिब, वरना इश्क का क्या हैं किसी को मिलता हैं और किसी को नहीं भी….!! -देव कुमार
चलो तमाशा बनाते हैं आज अपनी मोहोब्बत का, हम गिङगिङाएगे आप के सामने, और आप मुंह फैर लेना….!! -देव कुमार
गम, तन्हाई, रूसवाई, और तड़प ना जाने कितने गम पाल रखे है मेरे इस दिल ने….!! -देव कुमार
हार क्या होती है य़े तब हमने जाना, जब हम खुद हारे मोहोब्बत से लड़ते लड़ते…!! -देव कुमार
उदास क्यूँ रहते हो अपने गम को लेकर के दुनिया मैं किस के पास गम नही हैं साहीब…..!! -देव कुमार
आँखों मैं आंसू, और दिल मैं सदा रखते हैं कुछ लोग ऐसे भी अपनी मोहोब्बत को बया करते हैं….!! -देव कुमार
एे खुदा चल आज तू ही फैसला कर दे, मिला दे मुझको उससे य़ा सांसो को मुझसे जुदा कर दे….!! -देव कुमार
इतनी इज्ज़त न हमें बक्शो साहिब…. के मोहोब्बत की दुनिया में अपनी कोई इज्ज़त नहीं हैं….!! -देव कुमार
आँखों में मैं खुवाब लिए फिरता हू, इसलिये भी मोहोब्बत से मैं डरता हू….!! -देव कुमार
सब कुछ पाया ज़िन्दगी में, सिवाय एक चीज के…! दोस्ती, रिश्ता, अपनापन, सिवाय एक इश्क के…!! -देव कुमार
दिया गम, तन्हाई, रूसवाई और आँसू….! कुछ इस तरह मोहोब्बत का कर्जा चुकाया उसने….!! -देव कुमार
हार क्या होती है य़े तब हमने जाना, जब हम खुद हारे मोहोब्बत से लड़ते लड़ते…! -देव कुमार
परवाह करे कोई, किसी को हमारा भी ख्याल हो किसी की जुबां पे कभी हमारा भी सवाल हो
हार क्या होती है य़े तब हमने जाना, जब हम खुद हारे मोहोब्बत से लड़ते लड़ते…! -देव कुमार
हार क्या होती है य़े तब हमने जाना, जब हम खुद हारे मोहोब्बत से लड़ते लड़ते….! -देव कुमार
खत तो लिख लू, मगर लिखने का बहाना नहीं हैं, ना जाने कहा पहुचे ये खत, के उसका कोई ठिकाना नहीं है….! -देव कुमार
जब भी मैं गया वहां पर, जी कर गया और लोग कहते है, की मैं शराब पी कर गया……! -देव कुमार
कुछ ऐसे वक़्त बीता, मोहोब्बत की परख करते हुए गर्मी, सर्दी, और बरसात कब बीते, पता ना चला….! -देव कुमार
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