Mera bharat

जो हल जोते, फसल उगाए

उसे उसकी कीमत नहीं मिलती।

जो मजदुर उत्पाद बनाए

उसे उसकी कीमत नहीं मिलती।

भूख और लाचारी का ऐसा आलम है

अब जान सस्ती है रोटी नहीं।

जात और धर्म का ऐसा टॉनिक खिलाया जाता है

कि किसी बच्ची या व्यक्ति की

मौत में धर्म नज़र आता है।

महात्मा को मारने वाले की पूजा करने वाले

उन्हीं के नाम पर डींगे हाँकते है।

देश में बेरोज़गार बढ़ रहे हैं

पर नेताओं के आम खाने के तरीके सुर्खियां बटोरते हैं।

व्यक्ति की क्रय छमता कम होने की वजह से

कारखाने बंद हो रहे हैं ।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दाव पर है

देश प्रेम के दिखावे में जेट प्लेन को निम्बू मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है।

कवि हूं प्यार और वेदना को सिर्फ नहीं लिख सकता हूं

मेरा देश जल रहा है और यह अंदर से टूट रहा है।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. वाह, सटीकता आपकी लेखनी की पहचान है। आपके प्रत्येक शब्द समसामयिक जीवन से जुड़े हैं। भाषा का अद्भुत प्रवाह है।

New Report

Close