POEM
अभी सूरज उगने नहीं पाया,
चांदनी रातों की खुशबू नहीं छाया।
एक अद्वितीय रचना है यह,
जो आज तक किसी को नहीं आया।
बूँदों की बूंद चमकती है,
फूलों की खिलती हँसी सी भरती है।
धरती गीतों को गुनगुनाती है,
आसमान बदलों को गुलचर बनाती है।
प्रकृति की इस नगरी में,
सब एक साथ बसते हैं।
फूलों की मधुर सुगंध से,
हर मन को भरपूर भाते हैं।
हर एक पत्ता अलग रंग धारण करता है,
हर एक पुष्प अपनी महिमा बयां करता है।
सृष्टि के इस निर्माण की मधुरता में,
प्रेम और सौंदर्य निहारता है।
यह रचना अनोखी है नामी,
जगत में उन्मुक्ति का संदेश लायी।
हर एक शब्द ध्यान में लिया जाए,
यह रचना अमरता को छुआ जाए।
Responses