आज बिल्कुल अकेली हूँ ।।।
आज एहसास ये हुआ की मैं कितनी अकेली हूँ,
सजल जल नैन भर बरसे
दुख की मैं सहेली हूँ।
कहाँ है प्रीत का सावन??
कहाँ है गीत मनभावन??
कहाँ है प्रेम की गगरी
आज बिल्कुल अकेली हूँ।
नही मैं मोम की गुड़िया
नहीं मैं प्रेम की पुड़िया!
मैं हूँ आकाश की सामर्थ्य,
मैं कितने दर्द झेली हूँ ।।।
Beautiful poetry
Thanks