कभी तो मौसमों सा न बदलों

कभी तो मौसमों सा न बदलों
हर मौसम में फिर लिबास बदलना पड़ता है

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

दिखाई पड़ता है

तेरी आंखें में जैसे कोई नशा दिखाई पड़ता है तेरे होंठ में जैसे कोई मदिरा दिखाई पड़ता है ये तेरा धीरे धीरे पलकों को उठा…

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