खामोशियां
बाहर कितनी खामोशी है
अंतर्मन द्वंद सा मचा कहां?
चेहरा हंसता सा दिखता है
आंखों में नमी, दुख छुपा कहां?
जीव्हा कुछ ना कुछ बोल रही
शब्दों में फिर वो रवानी कहां?
तुम भी जी रहे हम भी जी रहे हैं
अरमानों का कत्ल फिर हुआ कहां ?
निमिषा सिंघल
वाह बहुत खूब
Dhanyavad Dev jI
Good
Thank you
Nice
आभार दोस्त
वाह
आभार