चुम्बन
वो भटकता रहा लफ़्ज़ दर लफ़्ज़
गढ़ने को परिभाषायें प्रेम की,
रिश्तों की, विश्वास की…!!
और
मैंने अंकित कर दिया हर एहसास
उसके दिल में सिर्फ चूम के
उसके माथे को…!!
‘दरअसल चुम्बन, आलिंगन और प्रेमल
स्पर्श मानव को सृष्टि द्वारा प्रदत्त
सर्वश्रेष्ठ भाषाएँ है..!!’
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(13/02/2021)
बहुत सुंदर पंक्तियां अनु जी, शायद इसे ही स्पर्श थेरेपी( स्पर्श चिकित्सा) कहते हैं,जो हमे प्रकृति प्रदत्त है।इसमें वात्सल्य भी शामिल है और प्रेम भी। बहुत खूब लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत बहुत शुक्रिया सखि
बहुत
खूबसूरत रचना,,,बहुत खूब