ढाँचे
मैंने सोंचा न था के वो इस कदर बदल जायेगा,
पानी पर लिखा हुआ उसका नाम जल जायेगा,
मैं बनाता ही रह जाऊंगा तरह – तरह के ढाँचे,
और वो मासूम यूँ वक्त के सांचे में ढल जायेगा,
बेवकूफ था मैं सोंचा ज़िन्दगी भर चलेगा साथ,
क्या मालूम था के वो यूँ बर्फ सा पिघल जायेगा।
राही अंजाना
Sunder rachna
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Nice
Wah
वाह