तुम मिले

चलते-चलते हम साथ हो लिए,
तुम मिले एक साँस हो लिए,
ज़ज्बातों को पी लिए और,
रस्मो को साथ ले लिए,तुम मिले,
शर्म औ हया के दायरे में बँध,
हम पग-पग, साथ हो लिए,
साँसो की डोर का पकड़े हम छोर,
बस सरपट चल दिए,
टूटते-बिखरते, बनते-सँवरते,
तुम मिले, हम साथ हो लिए,
मैं नहीं कुछ, बस हम ही हम,
समर्पण के भाव में यूँ हीं बह लिए,
उठते-गिरते ताने-बाने बुन लिए,
एक रफतार से लम्हों को नाप लिए,
सो रहे थे या जाग,जो जीवन जी लिए,
तुम मिले, बस मुस्कराते हुए ,
हम साथ हो लिए  ।।

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