दूसरे को मक्कार कहना
दूसरे को मक्कार कहना
और खुद को महान मानना
छोड़ दे इंसान, मत कर गुमान
जीवन है संघर्ष है सब जीते हैं
सब चलते हैं, चलने वालों को
इस तरह गाली नहीं करते हैं।
कलम से या मुंह से निकले अपशब्द,
तो दूसरे के लिए नहीं
अपने लिए ही कल की पूंजी बनते हैं,
किसी दूसरे को अपशब्द कहे कर
कभी महान नहीं बनते हैं।
टंकण त्रुटि सुधार
किसी दूसरे को अपशब्द कह कर
कभी महान नहीं बनते हैं।
सच्ची अभिव्यक्ति, सच बात
Thank you
बहुत खूब
Thanks, मैं अभिभूत हुई
वाह कमला जी बहुत ही सुन्दर विचार …..”किसी दूसरे को अपशब्द कहकर कभी महान नहीं बनते हैं”।आपकी लेखनी से बहुत ही शानदार कविता प्रस्फुटित हुई है । बहुत सुंदर ।
Thank you ji, सब आप जैसे मधुरभाषी कवियों का स्नेह है,
अत्यंत उम्दा
दूसरों को मक्कार और खुद को महान समझने वाले लोगों के प्रति आक्रोश की भावना और उत्तम संदेश
धन्यवाद जोशी जी
सुन्दर रचना