Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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तनहा-तनहा सा है, बिखरा-बिखरा सा
ये गुलाब थोड़ा तनहा-तनहा सा है ये गुलाब थोड़ा बिखरा-बिखरा सा है छूटा है ये शायद किसी के हाथों से ये गुलाब थोड़ा सहमा-सहमा…
सूखे नहीं थे धार आंशु के, पड़ गए खेतों मे फिर सूखे
सूखे नहीं थे धार आंशु के पड़ गए खेतों मे फिर सूखे
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
पपीहे की आस(कहानी)
पपीहे की आस जैसी खुशी बच्चे के पैदा होने पर होती हैं ,शायद उससे भी ज्यादा खुशी किसान को बारिश होने पर होती हैं यही…
प्रश्नों का जमावड़ा
दुनिया की अंधाधुंध गाड़ियों की भीड़ में एक नन्हीं सी परी को खड़ा जो देखा पाँव से रुक गए देख कर उसको फिर मन में…
अतिसुंदर
धन्यवाद