बढ़े विश्व का मान”
मिलता प्रेम अपार है
मिलता यहां सम्मान
अपनी लेखनी से सदा
बढ़े विश्व का मान
बढ़े विश्व का मान
लेखनी ऐसी हो मेरी
ना मन में हो कलेश
ना किसी से द्वेष,
यही आकांक्षा मेरी
लिखूँ मैं कुछ ऐसा कि
सभी का नेह पा सकूँ
जिनके दिल में है द्वेष
उस दिल की आह पर सकूं।।
सुंदर
अतिसुंदर भाव
धन्यवाद