Categories: शेर-ओ-शायरी
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“यही मैं सोच-सोचकर हैरान!!!! “….
ऐक हजारों धरती माता, ऐक ही आसमान, मजहब के झगड़ों में क्यूँ उलझ रहा इंसान, यही मैं सोच -सोचकर हैरान, यही मेै सोच-सोचकर हैरान, भारी…
आह्ववाहन
देश वासियों जागो, जागो जागो जागो, इतने बलिदानों से आजादी जो पाई, मूल्य उसका पहचानो, जागो,जागो,जागो। बीत गया जो काल कठिन था,। मुश्किल था रहना…
समय जगा रहा हैं
‘समय जगा रहा है’ कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं, संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं। जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं, वो…
जागो हे भरतवंशी
जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
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