आपदाओं का शिलशिला

आपदाओं का शिलशिला
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त्रासदी का जालीम कहर कब तक डराएगा
वक्त का यह खौफजदा दौङ थम ही जाएगा ।
अबतक के अनुभवों से हमने सीखा है
आपदाओ का शिलशिला जब चलने लगता है
धैर्य डगमगाता , पर क्या , वक्त का पहिया कब थम के रहता है
गम का दरिया बहते-बहते बह ही जाएगा
पर खुशियों का सैलाब बन के आएगा
वक्त का यह खौफजदा दौङ , थम ही जाएगा ।
सिर्फ अपने हित की कबतक फिक्र करना है
स्वमद में चूर हो क्यू दंभ भरना है
समय सबको उसकी सीमा दिखला के जाएगा
बौखलाहट जितनी भी हो, मौत एक दिन सबको आएगा in
वक्त का यह खौफजदा दौङ,थम ही जाएगा ।
आपाधापी कब हमें ज़ीने देती है
आगे बढने की चुनौती सर पर रहती है
हमारी क्षमताओ का आकलन कौन कर पाएगा
खुद से खुद की तृष्णा पर पार पाएगा
वक्त का यह खौफजदा दौङ ,थम ही जाएगा ।
सुमन आर्या

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Responses

  1. आप आज की महादेवी वर्मा हैं,
    सिलसिला
    दौर
    जालिम
    आपदाओं आदि।
    आपकी भावना वर्तमान स्थिति पर चरितार्थ हैं

  2. बहुत बङी उपाधी दे डाली
    मैं तो उनके चरणों की धूल भी नहीं
    पर कॅशिश करूँगी ,बेहतर करने की।
    आभार ज्ञापित ।

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