इक झोंके से नहीं बिखरता चिड़ियों का बना बसेरा!

जीवन में नित बढ़ते जाओ देखो नया सवेरा,
इक झोंके से नहीं बिखरता चिड़ियों का बना बसेरा….(१)

मिलती जो बाधाएं हैं नित उनको गले लगाओ,
मिलते जो आक्षेप जगत से उनको सहते जाओ….
नागफनी सी कठिन डगर पर तुमको चलते जाना,
पथरीले रस्ते‌ चलकर मंजिल तक तुमको जाना….

सूरज की किरणों के आगे टिकता नहीं अंधेरा,
इक झोंके से नहीं बिखरता चिड़ियों का बना बसेरा….(२)

जग में एकाकी हो तुम बाकी तो हैं पराये,
अंधेरे में साथ छोड़ते जैसे अपने साये…
दूजों की पीड़ाओं में जग को केवल परिहास दिखा,
बैसाखी पर चलने वालों ने कभी नहीं इतिहास लिखा..

कठिनाई को रौंद इक कदम आगे डालो डेरा,
इक झोंके से नहीं बिखरता चिड़ियों का बना बसेरा….(३)

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