उम्मीद

गम के फसाने को तेरी खुशियों ने लूटा , तेरी हर दीद की उम्मीद ने अखियों को लूटा ,
उजाले की हर किरन को तूनें कनखियों से लूटा,तुझे पाने की हर कोशिश को तेरी सखियों ने लूटा ,

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चाहत

तू ही तो है चाहत,तू ही तो है राहत, पंछी मैं तू, भोर की पहली किरन. तुझे न देखूं तो, दिल में उदासी, जो देखूं…

सखी चली ससुराल

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