ऐसी रंग में खोयेंगे

ऐसी रंग में खोयेंगे,
अबकी बार होली में ।
जहां-की-सारी – की – सारी कोशिशें
नाकाम होगी, हमें बेरंग करने में ।
जहां को ढ़ालेंगे,
हम अपनी रंगों में ।
वो लाख कोशिश करेंगे,
हम बेरंग करने की ।
फिर भी वह नाकाम रहेगी,
हमें असफल करने में ।।
ऐसी रंग में खोयेंगे,
अबकी बार होली में । ।
विकास कुमार
पिछले साल की रचना

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Responses

  1. ऐसी रंग में खोयेंगे,
    अबकी बार होली में ।
    जहां-की-सारी – की – सारी कोशिशें
    नाकाम होगी, हमें बेरंग करने में ।
    जहां को ढ़ालेंगे,
    हम अपनी रंगों में ।
    वो लाख कोशिश करेंगे,
    हम बेरंग करने की ।

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    सुंदर पंक्तियों के द्वारा आपने अपने कविता को सजाया और संवारा है विचारणीय मुद्दा उठाया है।।

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