कुछ भी
कुछ भी उसमें खास नहीं था,
फिर भी उसे दिल में बसाया था,
कोई हमसे छीन ना ले..
हर दिन खुदा से दुआएं किया करता था
मेरी तकदीर है,
मेरी जन्नत की लकीर है,
खुदा आज भी उसका इंतजार है,
यदि दुआएं मेरी तुझे कबूल है|
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ऋषि कुमार “प्रभाकर”
Kya baat hai
Beautiful lines
अतिसुंदर
अच्छा…आज भी!
Very nice poetry