कौन-सी नीतियों पे हमारी देश चल रही है?
कौन-सी नीतियों पे हमारी देश चल रही है?
कौन-से व्यवस्था में हम जी रहे हैं?
हर-जगह शोषण-ही-शोषण दिखाई दे रही है?
आमजनता का बुरा हाल है इस देश में,
और सरकार अपने ही नीति पे देश चला रही हैं ।।1।।
किसी देश का उत्थान होता उच्च राजनीतिज्ञ के उच्च विचारों से,
और अर्थव्यवस्था सुधरती महान अर्थशास्त्री राष्ट्रप्रेमी के महान अर्थनीति से,
ये दो नर अगर देश का शुभचिंतक न हो देश का विकास संभव न हो ।।2।।
अगर देश का राजनीतिज्ञ राष्ट्रप्रेमी हो,
तो वह अपने देश को समृध्द-शक्तिशाली व बलवान बनाता है ।
वह हर संकट से अपने देश को बचाता है, सुनीति से चलाते है वह अपने देश को ।
वह पुरानी व्यवस्थाओं को गहराई से अध्ययन-चिंतन-मनन करते है,
तथा वह पुरानी व्यवस्था को अपने तरीके से नये परिवेश में लाते है ।
ऐसे राजनीतिज्ञ सुयोग्य, कुशल, बुद्धिमान कहलाते है,
जो अपनी पुरानी व्यवस्थाओं को अध्ययन करके अपने पूरखों की मान रखते है।।3।।
अर्थशास्त्री हो अगर निज देश में वह कौटिल्य के समान है,
चाणक्यनीति, चाणक्यसूत्र, कौटिल्य अर्थशास्त्र का ज्ञाता है ।
कौटिल्य अर्थशास्त्र में उसे देश का भला दिखता है ।
ऐसे अर्थशास्त्री जग में है महान, जो पढ़े कौटिल्य अर्थशास्त्र दिन व रात ।।4 ।।
कवि विकास कुमार
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कौन-सी नीतियों पे हमारी देश चल रही है?
देश चल रही है या चल रहा है