क्या लिखूँ खत में तुमको..!!
क्या लिखूं कुछ भी समझ आता नहीं
कोई भी अल्फाज दिल को अब भाता नहीं..
लिख तो चुकी हूँ हजार दफा खत तुमको
आज क्या लिखूँ खत में तुमको
कुछ भी समझ आता नहीं..
सवाल उठता है क्या तुम खत पढ़ते होगे!
मेरे खतों को संभाल के रखते होगे!
ऐसा कुछ भी तुम करते होगे ऐतबार आता नहीं
क्या लिखूं, क्या लिखू? उफ!
कुछ भी समझ आता नहीं…
Good
शुक्रिया आपका
सुन्दर अभिव्यक्ति
शुक्रिया आपका
एक विरहिणी के मन में चल रहे ,अपने प्रियतम के प्रति भाव में चल रहे द्व्ंद्व की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
शुक्रिया आपका
सुन्दर रचना
शुक्रिया आपका
सुंदर भाव
शुक्रिया आपका
बहुत सुंदर पंक्तियां