खूब बारिश हो रही है
खूब बारिश हो रही है
रात भर, दिन भर
पहाड़ों में भूस्खलन
हो रहा है,
सड़कें टूट चुकी हैं,
नदियां उफान पर हैं,
खतरे के निशान पर हैं
या उससे ऊपर हैं,
हर जगह नमी है,
जिन्दगी थमी है।
मनुष्य क्या, जानवर
पेड़-पौधे, पक्षी
सभी सहमे हुए हैं,
रोजगार ठप है,
अब मौसम से खुलना कब है,
इसी आशा में,
संभले हुए हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों की स्थिति का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है कवि सतीश जी ने अपनी इस रचना में..बारिश के मौसम की सच्ची प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद