छोटी-छोटी खुशियां हैं
छोटी-छोटी खुशियां हैं
छोटे-छोटे बच्चों की,
छोटी सी खुशी में वे
सहज मुस्काते हैं।
प्यार के जरा से बोल
प्रीति कर दिल खोल,
आप मुस्काओ तो
सहज मुस्काते हैं ।
द्वेष, बैर, नफरत
घृणा से दूर हैं ये,
इसलिए ईश्वर का
रूप कहे जाते हैं।
कोई भी दुराव नहीं
किसी से खिंचाव नहीं,
छोटे से खिलौने में भी
नेह को लुटाते हैं।
अधिक की चाह नहीं
कम का भी गम नहीं,
न्यून हो या वृहद
खुशी में रम जाते हैं।
—— सतीश चंद्र पाण्डेय
बहुत ही काबिलेतारीफ कविता
बहुत बहुत धन्यवाद
“छोटी सी खुशी में वे सहज मुस्काते हैं।प्यार के जरा से बोल प्रीति कर दिल खोल,आप मुस्काओ तो सहज मुस्काते हैं ।”
बच्चों के निश्छल प्रेम को दर्शाती हुई कवि सतीश जी की बेहद सुन्दर कविता ।
सुन्दर समीक्षागत टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद गीता जी
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद जी