जीवन के लिए आवश्यक (जागरूकता)

आओ कथा सुनाएं तुम्हें पारिस्थितिकी पारितंत्र की,
खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
दिन-रात खनन हो रहा है चहुंओर हरियाली का,
आधुनिक मशीनें बन गई कारण जीवन की खुशहाली का,
है आवश्यकता फिर से पृथ्वी को हरा-भरा करने के इस मंत्र की,
खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
क्यों फैल रही हैं बीमारियां क्या कभी किसी ने सोचा है,
हम ही कारण बने हैं इसके जो पृथ्वी मां के आंचल को यूं नोचा है,
करो खुलासा इन सबका मत चलो कोई चालें षड्यंत्र की,
खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
चारों तरफ लाशों के ढेर लगे हर आंख से बहता पानी है,
है जीवन की कड़वी सच्चाई मत मानो इसे सिर्फएक कहानी है,
कोई रोग होने ना पाए अब कोई रोने ना पाए,करो व्यवस्था ऐसे यंत्र की,
खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
लाखों लोग इन दिनों कर रहे अपने जीवन से संघर्ष,
घर परिवार के भी लोग ना करते एक दूजे को स्पर्श,
दो गज दूरी मास्क जरूरी यह सोच होनी चाहिए खुद व्यक्ति स्वतंत्र की,
खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
क्या हुआ जो जिस वातावरण में अब तक जीते आए वह हवा भी अब जहरीली हुई,
कहीं इसका कारण हम सब ही हैं जो क्षीण अब हरियाली हुई,
करो ऐसी व्यवस्था आज अपने पारिस्थितिकी पारितंत्र की,
हो जिससे सुरक्षा अपने मानव तंत्र की।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. है आवश्यकता फिर से पृथ्वी को हरा-भरा करने के इस मंत्र की,
    खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की।
    _________ समसामयिक यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करते हुए बहुत सुंदर रचना, उत्तम अभिव्यक्ति

New Report

Close