“तुम्हारा समर्पण”
तुम्हारा समर्पण देखकर
भर आई मेरी आंख
कितना सुंदर ह्रदय है
कितनी सुंदर बात
कितनी सुंदर बात कही है
तुमने मुझसे
तेरे इस मनुहार पर
हार जाऊंगी तुझसे
तेरा सानिध्य पाकर सदा
कलम चले मेरी पाक
मेरे मन में ना हो ईर्ष्या
मन हो बिल्कुल साफ।।
Nice
बहुत खूब
धन्यवाद