तू है मित्र तू ही घनश्याम
देख कर मुग्ध हूँ मैं
तेरा सलोना रूप
हे केशव ! तू है मेरे मन का
वो प्रकाशित भाग !
जिसके होने से होता है मुझे
अर्जुन होने का आभास।
मुखचंद्र की इतनी अप्रतिम और
उज्जवल कान्ति,
मेरे हिय को पहुंचाती है शांति।
तुझको है मेरा कर जोड़ प्रणाम
तू है मित्र तू ही घनश्याम।
Bahut khoob
Thanks