नि:स्वार्थ प्रेम
तुम धरा हो, मैं वृक्ष हूं
तुम चैतन्य हो, मैं प्रेम हूं |
तुम नदिया हो, मैं किनारा हूं
तुम अग्नि हो, मैं हवनकुंड हूं |
तुम जीव हो, मैं श्वास हूं
तुम मर्यादा हो, मैं छैला हूं |
सच कहूं मैं प्रिय तुम्हें तो
मैं हंस, तुम मेरी हंसिनी हो |
अतिसुंदर भाव
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
नि:स्वार्थ प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति