नज़र
लोगों की नज़रों का क्या कहना
झटपट रंग जमाते हैं
झूँठे-मूँठे रिश्ते खूब बनाते हैं।
माँ को कुछ समझते ही नहीं
हर गलियारों में शोर मचाते हैं।
बहन को माँ कहने लगे हैं लोग
लोगों की नज़रों का क्या कहना।
☹😴👏👏👏
लोगों की नज़रों का क्या कहना
झटपट रंग जमाते हैं
झूँठे-मूँठे रिश्ते खूब बनाते हैं।
माँ को कुछ समझते ही नहीं
हर गलियारों में शोर मचाते हैं।
बहन को माँ कहने लगे हैं लोग
लोगों की नज़रों का क्या कहना।
☹😴👏👏👏
You must be logged in to post a comment.
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
वाह, सत्यवचन
waah
बहुत ही अच्छी
बिल्कुल सही प्रज्ञा जी
सुन्दर और सटीक
बहुत सुंदर पंक्तियां