पटरी पर फिर लौटा जीवन
पटरी पर फिर लौटा जीवन,
पर पहले जैसी बात नहीं है।
मुंह ढ़ककर घूमे हैं दिनभर,
पहले जैसी रात नहीं है।
हॉल, मॉल सब बंद पड़े हैं,
विद्यालयों पर लगे हैं ताले।
रौनक गुम है बाज़ारों से,
सूने पड़े हैं गलिहारे।
त्राहि – त्राहि हो रही धरा पर,
कोई ” संकटमोचन”, संजीवनी लाके बचाले।।
वाह वाह, कितने सुन्दर भाव हैं, बहुत खूब
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया🙏
True di
Thanks and welcome pragya ji
वेलकम
😊💐
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
sam saamyik rachnaa
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Waah geeta ji
Thank you very much Kamla ji
बहुत खूब
Thank you very much Piyush ji 🙏