पहचान
जब दिल से दिल के तार जुड़े हों,
किसी पहचान की जरूरत कहाँ।
नाम भले ही गुम जाए,
चाहे चेहरा भी बदल जाए..
आपकी आवाज़ से,आपके अंदाज़ से,
आपकी रूह को पहचान लेंगे हम।
ये चाहत है कोई दिल्लगी नहीं,
सीने में छुपाकर घूमें ग़म,
पवन सुहानी कहे कहानी
यादों में अक्सर ऑंखें होती नम॥
_______✍गीता
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दीदी मां* 🙏
Thanks sis.
वाह अति सुंदर
उत्साहवर्धन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी
बहुत सुंदर पंक्तियां दीदी मां 🙏