बात कह रहे हैं
छोटे हैं मगर ये बड़ी बात कह रहे हैं,
दो रोटी को तरसते ये हालात कह रहे हैं,
छोड़ने को तैयार नहीं एक दूजे को अकेला,
हाथों में डाले ये हाथ कह रहे हैं,
ये लम्हा बड़ी मशक्कत से कमाया है राही,
चेहरे ये जिद्दी सब साफ़-साफ़ कह रहे हैं॥
राही (अंजाना)
नहीं पढ़ी अरसे से ऐसी कविता हमने
हम ये बात आज साफ़ कह रहे है
भाई पन्ना इस कविता को एक पिक्चर पर लिखा है मैने आप राही अंजाना फेसबुक पे जुड़िये कृपया
nice
Thanks
Good